मौन रात ईस भांति कि जैसे
कोई गत वीणा पर बजकर
अभी-अभी सोई खोई-सी
सपनों में तारों पर सिर धर.
.
और दिशाओं से प्रतिध्वनियॉ
जाग्रत सुधियों-सी आती हैं,
कान तुम्हारी तान कहीं से यदि सुन पाते, तब क्या होता
मधुर प्रतीक्षा ही जब ईतनी, प्रिय तुम, आते तब क्या होता
.
उत्सुकता की अकुलाहट में
मैंने पलक पॉवडे डाले
अंबर तो मशहूर कि सब दिन
रहता अपना होश सँभाले
.
तारों की महफिल ने अपनी
ऑख बिछा दी किस आशा से
मेरी मौन कुटी को आते तुम दिख जाते, तब क्या होता
मधुर प्रतीक्षा ही जब ईतनी, प्रिय तुम, आते तब क्या होता
.
तुमने कब दी बात रात के
सुने में तुम आनेवाले,
पर एसे ही वक्त प्राण-मन
मेरे हो उठते मतवाले,
.
सॉसे भूल-भूल फिर-फिर से
असमंजस के क्षण गिनती हैं
मिलने की घडियॉ तुम निश्चित कर जाते, तब क्या होता
मधुर प्रतीक्षा ही जब ईतनी, प्रिय तुम, आते तब क्या होता
.
बैठ कल्पना करता हूँ पग-
चाप तुम्हारी मग से आती
रग-रग से चेतनता खुलकर
आँसू के कण-सी झर जाती
.
नमक डली-सा गल अपनापन
सागर में घुल-मिल-सा जाता
अपनी बांहो में भरकर, प्रिय कंठ लगाते, तब क्या होता
मधुर प्रतीक्षा ही जब ईतनी, प्रिय तुम, आते तब क्या होता
.
( हरिवंशराय बच्चन )
जब सोच सोच कर आप का ये हाल हुआ जा रहा है…तो वोह सामने हो तो आप पर क्या बीती जाएगी??? ज़रा हमें भी बताइये…हाल-इ-दिल बयान तो कीजिये…
जब सोच सोच कर आप का ये हाल हुआ जा रहा है…तो वोह सामने हो तो आप पर क्या बीती जाएगी??? ज़रा हमें भी बताइये…हाल-इ-दिल बयान तो कीजिये…
जरा सी आहट होती है तो दिल सोचता है कही ये वो तो नही>.
सीतार खामोश है पर उनकी आहटसे दिलमे सीतार सी बज़ती है…तब क्या होगा जिनकी प्रतीक्षा इतनी मधूर है उनके आनेसे सांस ही न रुक जाये लेकीन कोई हो तो!!
श्री बच्चन साहेबकी मीठी मधूर कल्पना!!
सपना
जरा सी आहट होती है तो दिल सोचता है कही ये वो तो नही>.
सीतार खामोश है पर उनकी आहटसे दिलमे सीतार सी बज़ती है…तब क्या होगा जिनकी प्रतीक्षा इतनी मधूर है उनके आनेसे सांस ही न रुक जाये लेकीन कोई हो तो!!
श्री बच्चन साहेबकी मीठी मधूर कल्पना!!
सपना