कोई तो कमी होती – दीपक भास्कर जोशी Jul16 कोई तो कमी होती गर तुम न साथ होती ! फूल मुरझाते आँखों में बरसात होती कोई तो कमी होती…. चांदनी रातों में चांद भी यूँ न खो गया होता भीगी पलकों का काजल भी यूँ न घुला-घुला होता कोई तो कमी होती…. रिमझिम बादल भी यूँ न कभी बरसा होता तितलियों के पंखों पर न जुगनुओं की कहानी होती कोई तो कमी होती…. गर तुम न तुम होती, मैं न मैं होता न धडकनों में अपने-अपने चांद होते कोई तो कमी होती…. . ( दीपक भास्कर जोशी )