कोई तो कमी होती – दीपक भास्कर जोशी

कोई तो कमी होती

गर तुम न साथ होती !

फूल मुरझाते

आँखों में बरसात होती

कोई तो कमी होती….

चांदनी रातों में

चांद भी

यूँ न खो गया होता

भीगी पलकों का

काजल भी यूँ न घुला-घुला होता

कोई तो कमी होती….

रिमझिम बादल भी यूँ न कभी बरसा होता

तितलियों के पंखों पर

न जुगनुओं की कहानी होती

कोई तो कमी होती….

गर तुम न तुम होती, मैं न मैं होता

न धडकनों में अपने-अपने चांद होते

कोई तो कमी होती….

 .

( दीपक भास्कर जोशी )

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