रास्तों में गुमरही अच्छी लगी
ये तलाशे-बेखुदी अच्छी लगी
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मैंने देखा है उसे बस एक बार
एक लडकी अजनबी अच्छी लगी
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सारा दिन तो शोर रहता है यहां
शाम होते ही गली अच्छी लगी
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गम से गेहरा कोई भी दुश्मन नहीं
गम से अपनी दोस्ती अच्छी लगी
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गमकदे में तीरगी जब बढ गई
खूने-दिलकी रौशनी अच्छी लगी
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एक बस तेरी कमी खलती रही
वरना हमको जिंदगी अच्छी लगी
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शायरी से क्या मिला तुमको हनीफ
हां मगर ये सरखुशी अच्छी लगी
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( हनीफ साहिल )