मुहब्ब्त का रिश्ता – आशा पाण्डेय ओझा Feb15 उगते सूरज से लेकर डूबती रात तक बता कोई लम्हा जो खाली रहा हो मेरे दिल में कभी तेरे खयाल से यह कहाँ का न्याय मुहब्ब्त का रिश्ता शुरु तूने किया निभा रही हूँ मैं जितनी परेशानी नहीं तेरे भूल जाने की आदत से उतनी परेशान हूँ जालिम अपनी याद रहने की इस आदत से . ( आशा पाण्डेय ओझा )
मैं तुझे टूटकर चाहूँ ये मेरी फितरत है,
तू भी हो मेरी तलबगार – ये ज़रूरी तो नहीं…!!!