कुछ कविताएँ Apr10 १) एक दिन हम सब अपनी-अपनी चुप्पियों को लेकर मर जाएंगे! और हमारा सबसे आख़िरी ख़याल होगा हमें बोलना चाहिए था ( हिमांशु मोहन ) . २) मैंने प्रेम की कई व्याख्यायें पढ़ीं और जाना सिर्फ़ इतना कि मैं तुम्हें बिना बताये भी तुमसे प्रेम कर सकता हूँ ( हिमांशु मोहन ) . ३) किसी का ना होना उसका चले जाना नहीं और किसी का होना उसका रह जाना नहीं जाने और रह जाने के बीच के फ़ासले में कितनी यात्राएँ लिखी थी तय भी यही था हुआ भी यही (अंजना टंडन ) . ४) जग कहता है समय निष्ठुर है तुम कहते हो निर्मोही भी सहमत हूँ मैं जानती भी हूँ किंतु जग से ज़रा अधिक मैं जानती हूँ ये भी कि ये लाड़ और लोरीयां से वंचित रहा शिशु था ईश्वर ने भी तो समय के लिए कोई पालना नहीं गढ़ा ( सोनपिया ) . ५) संभालना था सम्पूर्ण सृष्टि को एक धागे में ईश्वर ने गढ़ी स्त्री और यात्रा पर निकल गया! ( रुपाली टंडन )