एक कोना-उमा त्रिलोक Aug27 एक कोना जो हो रहा है ; और जो हो चुका है उसका क्या ? जो होने वाला है उसका भी क्या ? ये तनाव खिंचाव, होहल्ला शोरोगुल, मारधाड़ मेरे कारण तो नहीं है फिर इनका भी क्या ? तालियां, गालियां उलाहने, अपेक्षायें उम्मीदें, उत्सुकताएं मेरे कारण हैं भी, और नहीं भी लेकिन इनका भी क्या ? सब कुछ जो देखा, मिला, समझा उसका भी क्या ? अब तलाशती है रूह एक कोना सुनसान, वीरान एकाकी, मौन . ( उमा त्रिलोक )