जिन्दगी तुने लहू लेके दिया कुछ भी नहीं
तेरे दामन में मेरे वास्ते क्या कुछ भी नहीं
आप ईन हाथों की चाहें तो तलाशी ले लें
मेरे हाथों में लकीरों के सिवा कुछ भी नहीं
हमने देखा है कई ऎसे खुदाओं को यहॉ
सामने जिनके वो सचमुच का खुदा कुछ भी नहीं
ये अलग बात है वो रास न आया खुदको
उस भले श्ख्स में वैसे तो बुरा कुछ भी नहीं
बातें फैली हैं मेरे नाम से जाने क्या-क्या
जब कि सच ये है कि मैंने तो कहा कुछ भी नहीं
ऎ खुदा! अबके ये किस रंग में आई है बहार
जर्द ही जर्द है पेडों पे हरा कुछ भी नहीं
दिल भी ईक बच्चे की मानिंद अडा है जिद पर
या तो सब कुछ ही ईसे चाहिये या कुछ भी नहीं
( राजेश रेड्डी )
very gud gazal ….
it’s in the Jagjit Singh’s album called “Face to Face” …
first listened when i was in 10th … and this album was the reason i got inclined to gazals and gradually to Urdu itself !!
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it’s in the Jagjit Singh’s album called “Face to Face” …
first listened when i was in 10th … and this album was the reason i got inclined to gazals and gradually to Urdu itself !!
बातें फैली हैं मेरे नाम से जाने क्या-क्या
जब कि सच ये है कि मैंने तो कहा कुछ भी नहीं
saras pankti
बातें फैली हैं मेरे नाम से जाने क्या-क्या
जब कि सच ये है कि मैंने तो कहा कुछ भी नहीं
saras pankti