क्या करुं May14 मेरे खुदा मैं अपने खयालों को क्या करुं अंधों के नगर में उजालों को क्या करुं चलना ही है मुझे मेरी मंजिल है मीलों दूर मुश्किल ये है कि पाँवों के छालों को क्या करुं दिल ही बहुत है मेरा ईबादत के वास्ते मस्जिद को क्या करुं मैं शिवालों को क्या करुं मैं जानता हूं सोचना अब एक जुर्म है लेकिन मैं दिल में उठते सवालों का क्या करुं जब दोस्तों की दोस्ती है सामने मेरे दुनिया में दुश्मनी की मिसालों को क्या करुं ( राजेश रेड्डी )
YA RELLY V. V. NICE NERY BY LIFE FAKT
saras…