आगाज तो होता है अंजाम नहीं होता
जब मेरी कहानी में वह नाम नहीं होता
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जब जुल्फ की कालिख में गुम जाए कोई राही
बदनाम सही लेकिन गुमनाम नहीं होता
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हंस-हंस के जवां दिल के हम क्यों न चुनें टुकडे
हर शख्स की किस्मत में ईनाम नहीं होता
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बहते हुए आंसू ने आंखों से कहा थम कर
जो मय से पिघल जाए वह जाम नहीं होता
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दिन डूबे हैं या डूबी बारात लिए कश्ती
साहिल पे मगर कोई कोहराम नहीं होता
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( मीनाकुमारी )
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[ आगाज = आरम्भ, अंजाम = अंत, मय = मदिरा ]
शुभानल्लाह…!!!
शुभानल्लाह…!!!