पिया, खोलो किवाड – हरिवंशराय बच्चन

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पिया, खोलो किवाड,

पिया, खोलो किवाड,

कोयल की गूंजी पुकारें.

 .

बगिया में मरमर,

दुनिया में जगहर,

उतरी किरन की कतारें.

पिया, खोलो किवाड,

पिया, खोलो किवाड,

कोयल की गूंजी पुकारें.

 .

कलियों में गुन-गुन,

गलियों में रुन-झुन,

अम्बर से गाती बहारें.

पिया, खोलो किवाड,

पिया, खोलो किवाड,

कोयल की गूंजी पुकारें.

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पतझर को भूली,

हर डाली फूली,

बीती को हम भी बिसारें.

पिया, खोलो किवाड,

पिया, खोलो किवाड,

कोयल की गूंजी पुकारें.

 .

गूंगी थीं घडियां,

गीतों की कडियां,

वीणा को फिर झनकारें.

पिया, खोलो किवाड,

पिया, खोलो किवाड,

कोयल की गूंजी पुकारें.

 .

माना कि दुख है,

बिधना विमुख है,

आओ उसे ललकारें.

पिया, खोलो किवाड,

पिया, खोलो किवाड,

कोयल की गूंजी पुकारें.

 .

( हरिवंशराय बच्चन )

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4 replies on “पिया, खोलो किवाड – हरिवंशराय बच्चन”

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