मौत मैंने कहां बुलाई है !
वक्त के साथ साथ आई है !
तेरे मरने के बाद जिन्दा हूं,
दोस्ती हमने कब निभाई है ?
बेरहम तेरे सितम की सोटी,
चप्पेचप्पे पे चमचमाई है ?
जिन्दा रहेने की अब भी चाहत है
मोमबत्ती कहां बुझाई है ?
असली तसवीर छूपा कर तेरी,
मैंने ईज्जत तेरी बढाई है.
यूं हो गर्दिश से खौफ ऊतरा है,
आग मैंने कहां लगाई है ?
देख ‘ईर्शाद’ लिख्खा मस्जिद पर,
‘मांगने की यहां मनाई है’.
( चिनु मोदी )