गर कहोगे कि-सुनीता पवार Jan16 प्रिय शुभचिंतक, गर कहोगे कि.. तुम्हारा कद छोटा है थोड़ी लम्बाई होती तो अच्छा होता । . गर कहोगे कि.. रंग थोड़ा दबा हुआ है थोड़ा गोरा होता तो चमक अधिक होती । . गर कहोगे कि… आँखे छोटी या बड़ी हैं ये कोरों पास झुर्रियां न होती तो सुंदर दिखती । . गर कहोगे कि… बहुत मोटी या पतली हो थोड़ा आकार में होती तो कमाल का व्यक्तित्व होता । . गर कहोगे कि… आवाज़ भारी या हल्की है थोड़ी सामान्य होती तो मधुर बोलती । . तो मैं कहूंगी कि.. प्रिय शुभचिंतक, मैं शरीर को नहीं बदल सकती न शारीरक बदलावों को पर मुझे वो कमी बताना जिसे मैं बदल सकूँ । . प्रिय शुभचिंतक, क्या कभी देखते हो तुम? मेरे हौंसलों का कद मेरे आत्मविश्वास की चमक मेरे भावों की सुंदरता मेरे कमाल से गुण वाला व्यक्तित्व मेरे विनम्र शब्दों की मधुरता या देखकर अनदेखा करते हो? मैं फिर कहूँगी कि अपनी निपुणता को भी परखना, फिर मुझे वो कमी बताना जिसे मैं बदल सकूँ । स्त्रीरंग से . ( सुनीता पवार )