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प्रेम को जगाओ.
और मैं जानता हूं कि तुम परमात्मा के प्रेम में
एकदम नहीं पड सकते.
तुमने अभी पृथ्वी का प्रेम भी नहीं जाना.
तुम स्वर्ग का प्रेम कैसे जान पाओगे ?
इसलिए मैं निरंतर कह रहा हूं
कि मेरा संदेश प्रेम का है.
पृथ्वी के प्रेम को तो जानो.
तो फिर वही प्रेम तुम्हें
परमात्मा के प्रेम की तरफ ले चलेगा.
अभी तो तुमने प्रेम को जाना ही नहीं.
पृथ्वी का प्रेम नहीं जाना,
किसी स्त्री का प्रेम नहीं जाना,
किसी पुरुष का प्रेम नहीं जाना,
किसी मित्र का प्रेम नहीं जाना,
प्रेम से वंचित हो तुम,
तुम कैसे परमात्मा का प्रेम जानोगे ?
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( ओशो )