दो कवितायें – निदा फ़ाज़ली

.

(1)

सोने से पहले

.

हर लड़की के

तकिये के नीचे

तेज़  ब्लेड

गोंद की शीशी

और कुछ तस्वीरें होती है

सोने से पहले

वो कई तस्वीरों की तराश-ख़राश से

एक तस्वीर बनाती है

किसी की आँखे किसी के चेहरे पर लगाती है

किसी के जिस्म पर किसी का चेहरा सजाती है

और जब इस खेल से उब जाती है

तो किसी भी गोश्त-पोश्त के आदमी के साथ

लिपट कर सो जाती है

 .

(2)

सच्चाई

 .

वो किसी एक मर्द के साथ

ज़्यादा दिन नहीं रह सकती

ये उसकी कमज़ोरी नहीं

सच्चाई है

लेकिन जितने दिन वो जिसके साथ रहती है

उसके साथ बेवफ़ाई नहीं करती

उसे लोग भले ही कुछ कहें

मगर !!

किसी एक घर में

ज़िन्दगी भर झूठ बोलने से

अलग-अलग मकानों में सच्चाइयाँ बिखेरना

ज़्यादा बेहतर है

 .

( निदा फ़ाज़ली )

4 thoughts on “दो कवितायें – निदा फ़ाज़ली

Leave a comment