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1.
मैं दावे से तो नहीं कह सकता
फिर भी ऐसा लगता है
कि वनवास का सुख भोगने के बाद
रामजी का मन अयोध्या में लगा नहीं होगा!
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2.
कैकेयी तो बहाना था
वह तो वैसे भी वनवास जाता-
जो इतना विनम्र था
जो इतना सहनशील था
और जिसने माता-पिता के झगड़े देखे थे!
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3.
किसी राम के नहीं छुए जाने तक हर स्त्री
और किसी सीता के नहीं छुए जाने तक हर पुरुष-
एक अहिल्या ही तो है!
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4.
राम ने
स्वयं को सगुण राम से
निर्गुण राम बनते देखा है..
और यह राम के साथ न्याय है या अन्याय..
कोई नहीं जानता!
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5.
राम
फूट कर रोते हैं
लेकिन खुल कर हँस नहीं पाते –
कहानीकार क्या कहना चाहता है?
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( मनमीत सोनी )