राम : कुछ शब्द-चित्र : भाग चार-मनमीत सोनी

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1.
मेरे राम
ईश्वर राम हैं
केवल सेनानायक राम नहीं..
राम के विरुद्ध बोलने से
वह बस राम का नहीं रहता
लेकिन राम का नहीं रहने से
वह रावण का भी तो नहीं हो जाता!
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2.
कैकेयी
एक चालाक रानी-भर नहीं थी-
कैकेयी
दरअसल दशरथ के भीतर की
एक बहुत पुरानी बेचैनी थी
जिसे दशरथ को बुझाना नहीं आया!
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3.
राम जैसे ईश्वर से
मनुष्य के अभिनय में कितनी ही चूकें हुई हैं –
मैं इसीलिए तो कहता हूँ..
मनुष्यों को
देवताओं का अभिनय करने से बचना चाहिए!
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4.
यह मत समझना
कि यह मंदिर
अब कभी नहीं टूटेगा
अधर्म
फिर आएगा
और फिर-फिर आएगा
तम्बू में
एक बार नहीं
बल्कि कई बार रहना पड़ेगा
श्री राम जी को
एक ढांचा
मनुष्य की हड्डियों और लहू से बना ढांचा
कभी भी खड़ा हो जाएगा
कितनी ही शताब्दियाँ
फिर ज़ाया हो जाएँगी
खूँख़्वार मनुष्य की रीढ़ सीधी करने में!
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( मनमीत सोनी )
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