बात किस से करे – ‘सागर’ बुरहानपुरी
बात किस से करे के मन भी नहीं
हमजबाँ कोई हमरुखन भी नहीं
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न तो कमरा है और न तनहाई
पहले जैसी वो अंजुमन भी नहीं
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अजनबी लोग अजनबी चहेरे
हम वतन में है बेवतन भी नहीं
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कितनी लाशों को दफन करना है
घर में दो गज कफन भी नहीं
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ले के जाउं कहां उन्हें ‘सागर’
अब तो अकबर के नौ रतन भी नहीं
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( ‘सागर’ बुरहानपुरी )
अच्छी रचना है…
अच्छी रचना है…
अच्छी रचना है…
ખૂબ જ સરસ
ખૂબ જ સરસ