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बात किस से करे – ‘सागर’ बुरहानपुरी

बात किस से करे के मन भी नहीं

हमजबाँ कोई हमरुखन भी नहीं

 .

न तो कमरा है और न तनहाई

पहले जैसी वो अंजुमन भी नहीं

 .

अजनबी लोग अजनबी चहेरे

हम वतन में है बेवतन भी नहीं

 .

कितनी लाशों को दफन करना है

घर में दो गज कफन भी नहीं

 .

ले के जाउं कहां उन्हें ‘सागर’

अब तो अकबर के नौ रतन भी नहीं

 .

 ( ‘सागर’ बुरहानपुरी )

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