रामलला-मनमीत सोनी

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आँख सरयू है आज रामलला।
तू ही हर सू है आज रामलला।
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दिन किसी फूल-सा महक उट्ठा
रात ख़ुशबू है आज रामलला।
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हम भी सूरज हैं तेरी रहमत से
कौन जुगनू है आज रामलला?
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बाद आबाद कितनी सदियों के
तेरा पहलू है आज रामलला।
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वो तिहत्तर बरस का बूढा शख़्स
तेरा बाज़ू है आज रामलला।
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केसरी रंग का उगा सूरज
तेरा जादू है आज रामलला।
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उसको जीने का मिल गया मक़सद
जो भी हिन्दू है आज रामलला।
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( मनमीत सोनी )
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