दिल के हर दर्द की…

दिल के हर दर्द की दवा न ढूंढिये

दिल के हर दर्द को हवा न दीजिये

ऐसे किसी खास दर्द के संग संग

क्यों न जीना सीख लीजिये…

कुछ सवालों का कोई जवाब नहीं होता

कुछ का जवाब ढूंढना अच्छा नहीं होता

कुछ बातों का जिक्र अच्छा नहीं होता

या ईनके जिक्र से फायदा नहीं होता

ईसलिये मन के गहरे में उन्हें रहने दीजिये

दिल के हर दर्द की दवा न ढूंढिये…

दिल की बात न कहना कठिन है

बावले दिल पर भरोसा भी कठिन है

आंखो में उभरे आंसु छिपाना भी कठिन है

किंतु शिकायत किससे कितनी कीजिये

दिल के हर दर्द की दवा न ढूंढिये…

उम्मीद करते रहें कभी वह दिन आयेगा

मन के समेटे अंधेरो को समय मिटायेगा

सूखे आंसुओं की लकीरे वह पोंछेगा

और हमें हवा की तरहा उडना सिखायेगा

तब जिंदगी के हाथों जिंदगी सौंप दीजिये

दिल के हर दर्द की दवा न ढूंढिये

दिल के हर दर्द को हवा न दीजिये

( नंदिनी मेहता )

6 thoughts on “दिल के हर दर्द की…

  1. विगत कुछ वर्षों से कविता की दिशा बदल सी गयी है ! या तो यह मसखरी का एक माध्यम रह गयी है या फिर, मात्र शब्द – विन्यास !! कविता से काव्य लगभग लुप्तप्राय सा हो गया है ! चाहे नंदिनी मेहता की प्रस्तुत कविता विशेष पद चिह्न न छोड़ती हो, भावशून्यता के वर्त्तमान काल – खंड में यह एक आशा जगाती तो है |

    अच्छी कविताओं को अपने ब्लॉग के माध्यम से विश्व पटल पर रखने का हीना का प्रयास स्तुत्य है | हीना का निजी व्यक्तित्व भी किसी कविता से कम नहीं | ऐसे श्रेष्ठ काव्य को, अनेक शुभकामनाएं !

    RDS

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  2. विगत कुछ वर्षों से कविता की दिशा बदल सी गयी है ! या तो यह मसखरी का एक माध्यम रह गयी है या फिर, मात्र शब्द – विन्यास !! कविता से काव्य लगभग लुप्तप्राय सा हो गया है ! चाहे नंदिनी मेहता की प्रस्तुत कविता विशेष पद चिह्न न छोड़ती हो, भावशून्यता के वर्त्तमान काल – खंड में यह एक आशा जगाती तो है |

    अच्छी कविताओं को अपने ब्लॉग के माध्यम से विश्व पटल पर रखने का हीना का प्रयास स्तुत्य है | हीना का निजी व्यक्तित्व भी किसी कविता से कम नहीं | ऐसे श्रेष्ठ काव्य को, अनेक शुभकामनाएं !

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