तारों की झिलमिल-मुनि रूपचन्द्र

तारों की झिलमिल से

कोई बिछुडा दिल यदि मिलता है तो मिल लेने दो.

 

तुम ने था जो दीप जलाया

साँझ हुई तो वह घबराया

तम-किरणों की घुल-मिल में

नव-दीपक कोई जलता है तो जल लेने दो.

तुम ने था जो फूल खिलाया

वह तो पतझर में मुरझाया

मन सावन की रिमझिम से

यदि नया सुमन कोई खिलता है, खिल लेने दो.

नभ से जो सरिता है आयी

उस से प्यास नहीं बुझ पायी

आँसू की निर्मल कल-कल से

कोई गंगा ढलती है तो ढल लेने दो.

अब तक जो हैं गीत सुनाये

वे मेरे थे या कि पराये

उन गीतों की सरगम से

यदि कोई पीडा हँसती है तो हँस लेने दो.

( मुनि रूपचन्द्र )

8 thoughts on “तारों की झिलमिल-मुनि रूपचन्द्र

Leave a reply to HANIF Cancel reply