चाँद से फूल से या मेरी जबाँ से सुनिये
हर जगह आपका किस्सा है जहाँ से सुनिये
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सबको आता नहीं दुनिया को सजाकर जीना
जिन्दगी क्या है मुहब्बत की जबाँ से सुनिये
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क्या जरुरी है कि हर पर्दा उठाया जाये
मेरे हालात भी अपने ही मकाँ से सुनिये
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मेरी आवाज ही पर्दा है मेरे चेहेरे का
मैं हूँ खामोश जहाँ मुझको वहाँ से सुनिये
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कौन पढ सकता है पानी पे लिखी तहरीरें
किसने क्या लिखा है ये आबे रवाँ से सुनिये
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चाँद में कैसे हुई कैद किसी घर की खुशी
ये कहानी किसी मस्जिद की अजाँ से सुनिये
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( निदा फाजली )
[ रवाँ = बहता पानी ]
आप ही आप है अब तो हर सु…हर जगह…
आप ही आप है अब तो हर सु…हर जगह…