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मां संवेदना है, भावना है, अह्सास है
मां जीवन के फुलों में खुशबु का वास है।
मां रोते हुए बच्चे का खुशनुमा पलना है
मां मरुस्थल मे नदी या मीठा – सा झरना है।
मां लोरी है, गीत है, प्यारी-सी थाप है
मां पुजा की थाली है, मन्त्रो का जाप है।
मां आंखो का सिसकता हुआ किनारा है,
मां गालों पर पप्पी है, ममता की धारा है।
मां झुलसते दिलो मे कोयल की बोली है,
मां मेहंदी है, कुमकुम है, सिंदुर है, रोली है।
मां कलम है, दवात है, स्याही है,
मां परमात्मा की स्वयं की गवाही है।
मां त्याग है, तपस्या है, सेवा है,
मां फुँक से ठंडा किया हुआ कलेवा है।
मां अनुष्ठान है, साधना है, जीवन का हवन है,
मां चुडी वाले हाथो के मजबुत कंधो का नाम है,
मां चिन्ता है, याद है, हिचकी है,
मां बच्चे की चोट पर सिसकी है।
मां चुल्हा-धुआ-रोटी और हाथो का छाला है,
मां जिंदगी की कड़वाहट में अमृत का प्याला है।
तो मां की कथा अनादि है, अध्याय नही है. . . . . . .
. . . . . और मां का जीवन मे कोइ पर्याय नही है।
तो मां का महत्व दुनिया मे कम नही हो सकता ,
और मां जैसा दुनिया मे कुछ हो नही सकता ।
मै कविता की ये पंक्तियाँ मां के नाम करता हुं,
मै दुनिया की प्रत्येक मां को प्रणाम करता हुं ।
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( पं. ओम व्यास ओम )