क्यों आंसु की धारा है ?
छत पर टूटा तारा है.
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सुखे खेत को मालूम है
बादल है, आवारा है ?
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‘अमां, यहां हूं’, बोल न पाया
अल्ला है, बेचारा है.
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करीब आकर सिकूड गया
साया मारा मारा है.
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सांस की बाजी, मत खेलो;
जो भी जीता, हारा है.
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( चिनु मोदी ‘ईर्शाद’ )