तराश ही तराश – ईमरोज
प्यार के रिश्ते
बने बनाए नहीं मिलते
जैसे माहिर बुत तराश को
पहली नजर में ही अनगढ पत्थर में से
संभावना दिख जाती है-मास्टर पीस की
मास्टर पीस बनाने के लिए
बाकी रह जाती है सिर्फ तराश तराश तराश
.
उसी तरह
दो इन्सानों को भी पहली नजर में
एक दूसरे में संभावना दिख जाती है-
प्यार की-जीने योग्य रिश्ते की
बाकी रह जाती है-तराश तराश तराश-
बोलते सुनते भी
खामोशी में भी
और एक दूसरे को देखते हुए भी
और न देखते हुए भी
.
बुततराश की तराश तो
एक जगह पर आकर खत्म हो जाती है
जब उसका मास्टर पीस मुकम्मल हो जाता है
जैसे प्यार के रिश्ते की
तराश भी खत्म होती नहीं
सिर्फ उम्र खत्म होती है…
.
ये जिन्दगी का रिश्ता दिलकश रिश्ता
एक रहस्यमय रिश्ता
ना ये रिश्ता खत्म होता है
और ना ही इसकी तराश तराश…
.
( ईमरोज )