इमरोज़ वो शख्स-ज़ीशान खान

.

इमरोज़ वो शख्स
जो उम्र भर फिरता रहा
अपनी पीठ पर
अपनी प्रेमिका के प्रेमी का नाम लिए,
इमरोज़ वो शख्स
जिसकी मुस्कुराहट की सिर्फ एक वजह थी
अमृता की मुस्कुराहट,
फिर उसकी वजह किसी साहिर का
तसव्वुर ही क्यों न हो,
क्या फर्क पड़ता है,
आखिर अमृता की मुस्कान वजह थी
खुद उसके मुस्कुराने की,
लोग ये कहते है
इमरोज़ ने अमृता के लिए जिंदगी ख़ाक कर दी,
मैं ये कहता हूँ इमरोज़ ने
अपनी ज़िंदगी को बड़ी ही शिद्दत से जिया,
शायद इमरोज़ जानता था इश्क़ किसे कहते है,
अहसासों और जज़्बातों की
कीमत का सही अंदाज़ा था उसे,
सुनो लड़को
इश्क़ सीखना है तो इमरोज़ से सीखो,
ज़रूरी नही के जिसे तुम चाहो
वो भी तुम्हे टूट कर चाहे,
किसी को बाहों में भरने से पहले ही
उसे आज़ाद कर देना इश्क़ है….
सनम नज़र में हो फिर विसाल की ज़रूरत क्या है,
चाँद का दीदार ही काफी है रतजगे के लिए…
अलविदा इमरोज़,
उम्मीद हैं अब जहां तुम होगे वहाँ सिर्फ खुशियां होंगी…
.
( ज़ीशान खान )
Share this

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.