.
मेरी किताब “She Live On“ के पन्नो से…
मैंने एक बार इमरोज़ जी से पूछा, “ इमरोज़ जी, अमृता जी को उनके लेखन पर, उनकी शख़्सियत पर इतनी वाह वाही मिलती है और आपको कई बार कुछ लोग पहचानते तक भी नहीं, आपको बुरा नहीं लगता ? “
.
तब वह हंस कर बोले, “तुम्हें हम अलग अलग लगते हैं क्या, भोलिऐ , अमृता और मैं तो एक ही हैं , वह वाह वाही तो मुझे भी मिल रही होती है ना“
.
मुझे श्रीकृष्ण और राधा रानी का क़िस्सा याद आ गया….
.
जब श्रीकृष्ण वृंदावन छोड़ कर जा रहे थे तो राधा जी ने उनसे कहा, “कान्हा, मैं तुम्हारे बिना कैसे रहूँगी ? तुम मुझ से ब्याह कर लो और अपने साथ ले चलो”.
‘
श्रीकृष्ण मुँह मोड़ कर खड़े हो गये और राधा जी ने सोचा वह मना कर रहे है, तब श्री कृष्ण ने कहा था “राधे , ब्याह रचाने के लिए दो लोगों की ज़रूरत होती है, तुम और मैं तो एक ही हैं“
.
ऐसा प्यार कलियुग में भी घटा लेकिन लोगों ने नहीं समझा
.