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કૃષ્ણ જન્મની વધાઈ તો કાલે આપીશું. પણ તે પહેલા આજે કૃષ્ણ વિરહની ઠુમરી સાંભળીને માણીએ. શાયદ આ વિરહ વેદનાનો સાદ સાંભળીને સાચેસાચ કૃષ્ણ અવતરે….
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[audio:http://heenaparekh.com/wp-content/uploads/2011/08/005-Kanha-Thumri.mp3|titles=005 – Kanha (Thumri)].
पवन उडावे बतियाँ हो बतियाँ, पवन उडावे बतियाँ
टीपो पे न लिखो चिठिया हो चिठिया, टीपो पे न लिखो चिठिया
चिट्ठियों के संदेसे विदेसे जावेंगे जलेंगी छतियाँ
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कान्हा आ.. बैरन हुयी बाँसुरी
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हो कान्हा आ आ.. तेरे अधर क्यूँ लगी
अंग से लगे तो बोल सुनावे, भाये न मुँहलगी कान्हा
दिन तो कटा, साँझ कटे, कैसे कटे रतियाँ
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पवन उडावे बतियाँ हो बतियाँ, पवन उडावे बतियाँ..
रोको कोई रोको दिन का डोला रोको, कोई डूबे, कोई तो बचावे रे
माथे लिखे मारे, कारे अंधियारे, कोई आवे, कोई तो मिटावे रे
सारे बंद है किवाड़े, कोई आरे है न पारे
मेरे पैरों में पड़ी रसियाँ
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कान्हा आ.. तेरे ही रंग में रँगी
हो कान्हा आ आ… हाए साँझ की छब साँवरी
साँझ समय जब साँझ लिपटावे, लज्जा करे बावरी
कुछ ना कहे अपने आप से आपी करें बतियाँ
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दिन तेरा ले गया सूरज, छोड़ गया आकाश रे
कान्हा कान्हा कान्हा…..
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फिल्म : वीर
संगीत : साज़िद वाज़िद
शब्द : गुलज़ार
राग : नंद
स्वर : रेखा भारद्वाज
कोरस : शरीब तोशी और शबाब साबरी
शायद लफ्जों की ज़रूरत नहीं है…
शायद लफ्जों की ज़रूरत नहीं है…