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रात की काली चादर ओढे
मुंह को लपेटे
सोइ है कब से
रुठ के सबसे
सुबह की गोरी
आँख न खोले
मुंह से न बोले
जब से कीसीने
कर ली है सूरज की चोरी
आओ
चल के सूरज ढूंढे
और न मिले तो
किरन किरन फिर जमा करें हम
और इक सूरज नया बनाये
सोई है कब से
रुठ के सब से
सुबह की गोरी
उसे जगायें
उसे मनायें
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( जावेद अख्तर )
मुझसे वादा करो मुझे रुलाओगे नहीं,
हालात जो भी हो मुझे भुलाओगे नहीं,
छुपाके रखोगे अपनी आँखों में मुझको,
दुनिया में किसी और को दिखाओगे नहीं…!!!
मुझसे वादा करो मुझे रुलाओगे नहीं,
हालात जो भी हो मुझे भुलाओगे नहीं,
छुपाके रखोगे अपनी आँखों में मुझको,
दुनिया में किसी और को दिखाओगे नहीं…!!!
मुझसे वादा करो मुझे रुलाओगे नहीं,
हालात जो भी हो मुझे भुलाओगे नहीं,
छुपाके रखोगे अपनी आँखों में मुझको,
दुनिया में किसी और को दिखाओगे नहीं…!!!