लाख मिल जाऐंगे-खलील धनतेजवी
लाख मिल जाऐंगे चहेरे को सजाने वाले,
ढूंढ कर लाईए आईना दिखाने वाले.
फल गिरेंगे तो चले आऐंगे खाने वाले,
हम तो हैं पेड की शाखों को हिलाने वाले.
कुछ तो अच्छों में भी होती है बुराई, माना,
सब से बदतर हैं मगर दिलको दुखाने वाले.
घर तो है, घर का पता भी है, मगर कया कीजे,
घर पे होते ही नहीं घर पे बुलाने वाले.
किसने देखी है खलील ऐसे घरों की हालत,
जेल में होते हैं जिस घर के कमाने वाले !
( खलील धनतेजवी )